नौकरी के लिए इन देशों में जाने से पहले 'इमिग्रेशन क्लीयरेंस' लेना न भूलें
विदेश में नौकरी का प्रस्ताव आते ही आखिर कौन है, जो सुनहरे सपने नहीं संजोता होगा। मगर कई बार ये सपने बुरे सपने में भी बदल जाते हैं और घर लौटना तक दूभर हो जाता है। हर साल लाखों भारतीय विदेश जाते हैं, कोई पढ़ाई को लेकर तो कोई नौकरी के लिए। इनमें 7-8 लाख भारतीय ऐसे देशों का भी रुख करते हैं, जहां के लिए 'इमिग्रेशन क्लीयरेंस' जरूरी है। यह एक छोटा सा कदम विदेश में किसी भी तरह की अनहोनी के खतरे से बचा सकता है।
इन देशों के लिए अनुमति जरूरी
भारत सरकार ने करीब 18 देशों को 'इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड' (ईसीआर) श्रेणी के तहत नामित किया गया है। मतलब अगर आपको इन देशों की ओर जाना है, तो क्लीयरेंस लेनी ही होगी। ये देश हैं- अफगानिस्तान, बहरीन, इंडोनेशिया, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, लीबिया, मलेयशिया, ओमान, कतर, सउदी अरब, दक्षिण सूडान, सूडान, सीरिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, यमन।
आपकी सुरक्षा की 'गारंटी' है यह क्लीयरेंस
इन देशों को भारत सरकार ने इसलिए विशेष श्रेणी में रखा है क्योंकि यहां भारतीयों के साथ धोखाधड़ी की आशंका ज्यादा होती है। आपको पता होना चाहिए कि सबसे ज्यादा धोखेबाजी के शिकार 'ब्लू कॉलर कार्यकर्ता' यानी कम शिक्षित, कम कुशल लोग होते हैं। 'इमिग्रेशन क्लीयरेंस' एक सुरक्षा उपाय है, जिसके तहत यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जाती है कि कहीं आपके साथ कोई धोखा तो नहीं हो रहा है। आपको जो प्रस्ताव दिया गया है, वह सही है या नहीं। बताया गया वेतन सही है गलत। अनुबंध की नियम व शर्तों में कुछ गड़बड़ तो नहीं है।
कैसे करता है काम
'इमिग्रेशन क्लीयरेंस' के लिए देशभर में कई शहरों में 'प्रोटेक्टर्स आफ इमिग्रेंट्स' प्रवासियों के रक्षक के कार्यालय हैं। सूची में शामिल देशों में जाने से पहले इन्हीं के पास से अनुमति लेनी होती है। ये अधिकारी आपको मिले प्रस्ताव की गहन जांच कर यह पता लगाते हैं कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है।
10 शहरों में बनाए गए हैं कार्यालय
इसके लिए विदेश मंत्रालय की ओर से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, चंडीगढ़, कोच्चि, तिरुवनंतपुरम, जयपुर और रायबरेली में 'प्रोटेक्टर्स आफ इमिग्रेंट्स' के कार्यालय बना गए हैं। आप जिस जोन में आते हैं, वहां के कार्यालय से 'इमिग्रेशन क्लीयरेंस' ले सकते हैं।